अनन्तकाल का निर्णय

'अनंतकाल का निर्णय'। इस शीर्षक का अर्थ है, एक ऐसा निर्णय या फैसला लेना जिस से आप अनंत जीवन प्राप्त करके युगानुयुग के लिए स्वर्ग में परमेश्वर के साथ रह सकेंगे।


हमें दिन प्रतिदिन के जीवन में, लगभग रोज निर्णय लेना पड़ते हैं। प्रातः काल बिस्तर से उठने से लेकर रात्रि को फिर बिस्तर पर सोने के समय तक, हमें हर एक बात में कुछ फैसलें लेना पड़ते हैं ।

निर्णय अथवा फैसला करना हमारे जीवन का आवश्यक हिस्सा है, क्या यह सच नहीं है! हम जो कोई कार्य करना चाहते हैं, चाहे कैसा भी क्यों न हो, पहले निर्णय लेना ही पड़ता है, और उसी के साथ दिनचर्या आगे बढ़ती है। 

सामाजिक जीवन में देखते हैं, माता-पिता अपने बच्चों के लिए निर्णय लेते हैं। शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए ओर चिकित्सक उनके मरीजों के संबंध में निर्णय लेते हैं, कि कौन सी दवाई दी जाए। इतना ही नहीं, हमें अपने स्वयं के लिए अनेक निर्णय (फैसलें) लेना होते हैं, जैसे क्या कार्य करना हैं! क्या खाना है ! क्या पहनना, कहां जाना! और न जाने इस प्रकार के अंतहीन निर्णय हमें करना पड़ते है ।

हमारे रोज़मर्रा के अनेक निर्णय हमारे लिए खुशी और संतुष्टी देते हैं, परन्तु हाय ! हमारे द्वारा किए गए कुछ ऐसे निर्णय भी होते है, जो भीतर तक हमें पीड़ा पहुंचाते और गहरी चुभन देते हैं। ऐसे कष्टों से उबरने में बहुत लंबा समय लगता हैं, और जीवन को फिर से सामान्य बनाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।

अनेक लोगों को उनके द्वारा लिए गए गलत निर्णयों के लिए, अपने मूल्यवान जीवन से भी हाथ धोना पड़ता है। अतः कोई भी निर्णय लेते समय बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि, प्रतिदिन के जीवन में हमें। निर्णय लेने ही पड़ते हैं। 

परंतु आपने मृत्यु के पश्चात के जीवन के विषय में कभी कुछ सोचा है ! आपने मृत्यु के बाद क्या होगा इसके बारे में कभी सोचा है ! और क्या आपने उसके लिए कोई ठोस और सही निर्णय लिया है ! यह सवाल आपके लिए कदाचित हास्यास्पद या विलक्षण हो सकता है, परंतु वह बहुत बहुत जरुरी है।

क्योंकि मृत्यु एक कटु सत्य है, किसी भी दिन ! किसी भी क्षण ! आपके चाहने न चाहने से कुछ नहीं होगा। मृत्यु के कठोर, क्रूर और कंपाने वाले हाथ आपको अपने आगोश में खींच लेंगे और आप कुछ भी नहीं करे सकेंगे।

मेरे पिता को अचानक अस्पताल ले जाना पड़ा, वे नहीं जानते थे, कि वे कभी भी जीवित अपने घर नहीं; लौटेंगें। यह सब कुछ अकस्मात हो गया, इसके पश्चात हम में से किस की बारी आएगी, हम नहीं जानते।

इस जीवन की कोई निश्चितता और ग्यारंटी नहीं है। पवित्र शास्त्र बाइबल में लिखा है, "तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहां एक वर्ष बिताएगें और व्यापार करके लाभ उठायेंगे। और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा, सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या ! तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोडी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है (याकूब 4:13-14)।

बाइबल पवित्र शास्त्र कहता है, "क्योंकि कोई भेद नहीं, इसलिए कि सबने पाप किया और परमेश्वर की महिमा से रहित है" (रोमियों 3:23)। 'क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु हैं, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनंत जीवन है" (रोमियों 6:23)।

हाँ मित्रों, हम में से हर एक को एक दिन मृत्यु का सामना करना ही होगा, क्योंकि परमेश्वर का वचन कहता है, 'मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है" (इब्राः 9:27)। हर एक व्यक्ति को मरने के बाद जीवित और पवित्र परमेश्वर के सम्मुख न्याय के लिए खड़ा होना पड़ेगा। 

परन्तु जैसा हमने देखा, 'परमेश्वर का वरदान (गिफ्ट) आपके लिए प्रभु यीशु में अनंत जीवन है। पापी होने के कारण हर एक व्यक्ति को नरकअग्नि में अवश्य जाना होगा। परंतु परमेश्वर ने आपके लिए नरक से बचने का बेमिसाल उपाय किया है, वह है प्रभु यीशु ।

'वह (प्रभु यीशु ) आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया, जिससे हम पापों के लिए मर करके धार्मिकता के लिए जीवन बिताएं, उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए हो' (1 पतरस 2:24) । प्रभु यीशु हमारे पापों का दंड उठाने के लिए क्रूस पर मरा, उसने हमारे पाप स्वयं उठा लिये है।

पवित्र शास्त्र यह कहता है, 'यदि हम अपने पापों को मान लें तो वह (परमेश्वर) हमारे पापों को क्षमा करने और सब अधर्मों से शुद्ध करने में विश्वास योग्य है और धर्मी है' (1 यूहन्ना 1:9)। प्रिय मित्रों, क्या आप वह बड़ा और बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला करेगें और प्रभु यीशु को अपने हृदय में अपना उद्धारकर्ता और प्रभु स्वीकार करेंगे !

यदि हाँ, तो संपूर्ण हृदय से सच्चाई के साथ साथ यह प्रार्थना कीजिए, 'हे प्रभु यीशु, मैं एक पापी व्यक्ति हूं, परंतु विश्वास करता हूं, कि तू जीवित परमेश्वर का पुत्र है, तु मुझ पापी के लिए क्रूस पर मरा और पुनः जीवित हो उठा | मैं तुझे अपना उद्धारकर्ता और प्रभु ग्रहण करता हूँ, कृपा करके मुझे मेरे सब पापों से शुद्ध कर, तेरे हीं नाम से मांगता हूं आमीन! यह निर्णय आपके जीवन का आमूल परिवर्तन कर देगा। अब आप युगानुयुग के लिए स्वर्ग में परमेश्वर के साथ रहेंगे। ओह ! कितना महान है यह निर्णय ! यदि आपने यह लेख पढ़कर निर्णय लिया है, तो हमें अवश्य लिखें, हम आपके लिए प्रार्थना करेंगें।

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